देहरादून। श्री आदर्श रामलीला सभा, राजपुर द्वारा 72वें रामलीला महोत्सव पर भगवान राम को राजा दशरथ ने अयोध्या का राजा बनाने की घोषणा की। जिससे अयोध्या में खुशियां मनाई जाने लगी दीपमालाएं सजाई जाने लगी , वहीं इस समाचार को सुनकर मंझलीरानी केकई की दासी मंथरा ने इस समाचार को सुनकर कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। मंथरा ने रानी केकई को बताया कि बड़ी महारानी कौशल्या द्वारा महाराज के साथ मिलकर आपके विरुद्ध षड्यंत्र रचाया गया जिससे भरत को ननिहाल भेजकर राम को राजा अयोध्या का बनाया जा रहा है ऐसे में तुम जीवन पर्यंत कौशल्या की दासी बनी रहोगी यह सब बातें कैकयी की समझ में आ गई और केकई ने रुष्ट होकर कोप भवन में जाने का निर्णय लिया ।काले वस्त्र पहन कर कोप भवन में चली गई ।जहां महाराज दशरथ को बहुत बुरा लगा और उन्होंने जाकर के कैकेई को समझाने का मनाने का प्रेम बरसाने का भरपूर प्रयास किया किंतु वो नहीं मानी। कैकेई ने देवासुर संग्राम का वास्ता देकर राजन तो दोनों वचन देने का वादा याद दिलाया और एक वचन में भरत को अयोध्या का राज और दूसरे वरदान मे राम को 14 वर्ष का वनवास मांग लिया। राम को 14 वर्ष का वनवास सुनते ही राजा दशरथ मूर्छित हो गए जिसका फायदा उठाकर केकई ने राम को पिता की आज्ञा का वास्ता देकर राम को बनवास का आदेश दिया। राम की पत्नी सीता राम के साथ जाने की जिद करने लगी और लक्ष्मण ने भी राम के साथ जाने का ही संकल्प लिया इस प्रकार राम के साथ लक्ष्मण और सीता भी वनगमन के लिए तैयार हुए।
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