देहरादून। बीटीसी (पत्राचार) प्रशिक्षित संगठन ने नवंबर वर्ष 2011को निर्गत शासनादेश के अनुसार बीटीसी प्रक्षिशित की नियुक्ति सहित अन्य 18 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से वार्ता के बाद भी बात नही बनने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
रविवार को रिस्पना स्थित होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान संगठन के सदस्य विपिन कुमार मित्तल ने कहा कि बीटीसी पत्राचार का प्रशिक्षण 1995 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यापकों के लिए किया गया। जो अध्यापक प्राइवेट स्कूलों में बिना प्रशिक्षित हुए पढ़ा रहे थे ,उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में इन्हें प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया । इस क्रम में 1995 में इनका प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया ।सन् 2000 में उत्तराखंड राज्य में रहने वाले और कुछ यूपी रहने वाले बीटीसी अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण का कार्य उत्तराखंड शासन कर रहा था। 864 अभ्यर्थियों में पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षण को 2008 में पूरा कर लिया गया था। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षित को नियमित पदों पर रखना था, परंतु सरकार द्वारा उन्हें मानदेय पर सन 2011 में एकल व दूरगामी स्कूलों में रखने का शासनादेश जारी कर दिया गया था। सन 2011 में शासन में 864 पदों पर नियुक्ति की विज्ञप्ति भी जारी कर दी गई थी परंतु कोर्ट का स्टे हो जाने पर नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई। इस बीच सरकार बदलने से मामला बीच मे अटक गया। जिसकी वजह से आज तक बेरोजगारी बनी हुई है।उत्तर प्रदेश शासन बीटीसी प्रशिक्षित की नियुक्ति प्रक्रिया बहाल कर दी गई है। मित्तल ने कहा कि आशा करते हैं कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इन्हें भी मानदेय पर नियुक्त किया जाए और बीटीसी पत्राचार के 864 पदों को पुनर्जीवित किया जाए। संगीता भट्ट ने कहा कि इस बाबत शिक्षा मंत्री औऱ मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी यदि हमारी मांगों की ओर ध्यान नही दिया जाता है। हमको अनसुना किया जाता है तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे । इंदू राय ने कहा कि यह प्रदेशव्यापी आंदोलन अनिश्चितकाल के लिए होगा। इस मौके पर शशि वर्मा, परमेश्वरी बहुगुणा, संजय, दुर्गा भट्ट, महादेव उनियाल, विक्रम पयाल आदि उपस्थित थे।
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