भाई वीर सिंह जी की 150वीं जयंती को समर्पित गोष्ठी, राज्यपाल ने की शिरकत
देहरादून। डॉ. बलबीर सिंह साहित्य केंद्र, देहरादून एवं सिख विश्वकोश विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा भाई वीर सिंह जी की 150वीं जयंती पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आरंभ 20 प्रीतम रोड, डालनवाला में किया गया। जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मुख्य भाषण डॉ. जसपाल कौर कांग द्वारा दीया गया, जिसमें उन्होंने भाई वीर सिंह जी के अद्वितीय व्यक्तित्व का परिचय दिया और कहा कि वे बीसवीं सदी के सबसे प्रतिष्ठित सिख लेखक थे, जिन्होंने उपन्यास की तरह पंजाबी साहित्य में कई नए साहित्यिक रूपों का परिचय दिया। अपने विशेष उद्बोधन में डॉ. सुरजीत सिंह नारंग ने प्रमुख साहित्य श्रोताओं के समक्ष यह तथ्य प्रस्तुत किया कि भाई वीर सिंह जी ने पंजाबी की प्राचीन रचनाओं को आधुनिक पंजाबी भाषा में नए साहित्यिक रूपों के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया। गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब के अध्यक्ष स. नरिंदरजीत सिंह बिंद्रा ने भाई वीर सिंह जी के संस्थागत योगदान के बारे में भी बताया और हेम कुंट की स्थापना के साथ भाई वीर सिंह जी के मुख्य संबंध पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के उप कुलपति प्रो. अरविंद ने पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भाई वीर सिंह जी से प्रेरणा लेने और देहरादून के पंजाबी समुदाय को इस उद्देश्य से विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों में शामिल होने के लिए कहा।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल (रिटा.) स. गुरमीत सिंह ने भाई वीर सिंह जी द्वारा प्रदान की गई साहित्यिक सेवा की सराहना की और कहा कि भाई साहब ने सिख अध्ययन को बहुत गहराई से समझा और इसे लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए समाचार पत्र, ट्रैक्ट और किताबें रची। इस दौरान उन्होंने अपने कई निजी अनुभव भी सांझा किए। उनके द्वारा
स्थानीय संगठनों को डॉक्टर बलबीर सिंह साहित्य केंद्र की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अंत में, ‘गुरु तेग बहादुर जी: गुरुमुखी स्रोत पुस्तक’ और ‘Selectoins from Guru Nanak Bani ‘ का विमोचन किया गया और विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘सिख धर्म का विश्वकोश’ राज्यपाल साहिब को भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं दर्शकों का स्वागत डॉ. परमवीर सिंह व अतिथियों का धन्यवाद डॉ. कुलविंदर सिंह ने किया।
इस आयोजन में देहरादून के गणमान्य लोगों के अलावा दिल्ली, चंडीगढ़ और पंजाब के विभिन्न शहरों से कई विद्वानों और प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें मुख्य रूप से संत जोध सिंह जी ऋषिकेश, स. दविंदर सिंह मान, देवेंद्र सिंह बिंद्रा, स. दर्शन सिंह, श्री. सेवा सिंह मथारू, स. बरजिंदरपाल सिंह, स. अमरजीत सिंह भाटिया, हरपाल सिंह बजाज, डॉ. हिम्मत सिंह, स. गुरबख्श सिंह राजन, गुरदीप सिंह सहोता, स. सिमरजीत सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर), डॉ. गुरनायब सिंह, बाल कलाकार कमलजीत सिंह नीलों, डॉ. गुरमेल सिंह, डॉ. दलजीत कौर, डॉ. जसवंत सिंह, डॉ. अमरजीत कौर करीर, जे.एस. ओबेरॉय, डॉ. तेजिंदर पाल सिंह, डॉ. मोहब्बत सिंह, डॉ. कश्मीर सिंह, डॉ. गुरतेज सिंह, डॉ. हरविंदर सिंह, श्वेता राय तलवार, मनजीत कौर आदि शामिल थे।
वीर सिंह जी की 150वीं जयंती को समर्पित गोष्ठी, राज्यपाल ने की शिरकत
देहरादून। डॉ. बलबीर सिंह साहित्य केंद्र, देहरादून एवं सिख विश्वकोश विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा भाई वीर सिंह जी की 150वीं जयंती पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आरंभ 20 प्रीतम रोड, डालनवाला में किया गया। जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मुख्य भाषण डॉ. जसपाल कौर कांग द्वारा दीया गया, जिसमें उन्होंने भाई वीर सिंह जी के अद्वितीय व्यक्तित्व का परिचय दिया और कहा कि वे बीसवीं सदी के सबसे प्रतिष्ठित सिख लेखक थे, जिन्होंने उपन्यास की तरह पंजाबी साहित्य में कई नए साहित्यिक रूपों का परिचय दिया। अपने विशेष उद्बोधन में डॉ. सुरजीत सिंह नारंग ने प्रमुख साहित्य श्रोताओं के समक्ष यह तथ्य प्रस्तुत किया कि भाई वीर सिंह जी ने पंजाबी की प्राचीन रचनाओं को आधुनिक पंजाबी भाषा में नए साहित्यिक रूपों के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया। गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब के अध्यक्ष स. नरिंदरजीत सिंह बिंद्रा ने भाई वीर सिंह जी के संस्थागत योगदान के बारे में भी बताया और हेम कुंट की स्थापना के साथ भाई वीर सिंह जी के मुख्य संबंध पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के उप कुलपति प्रो. अरविंद ने पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भाई वीर सिंह जी से प्रेरणा लेने और देहरादून के पंजाबी समुदाय को इस उद्देश्य से विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों में शामिल होने के लिए कहा।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल (रिटा.) स. गुरमीत सिंह ने भाई वीर सिंह जी द्वारा प्रदान की गई साहित्यिक सेवा की सराहना की और कहा कि भाई साहब ने सिख अध्ययन को बहुत गहराई से समझा और इसे लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए समाचार पत्र, ट्रैक्ट और किताबें रची। इस दौरान उन्होंने अपने कई निजी अनुभव भी सांझा किए। उनके द्वारा
स्थानीय संगठनों को डॉक्टर बलबीर सिंह साहित्य केंद्र की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अंत में, ‘गुरु तेग बहादुर जी: गुरुमुखी स्रोत पुस्तक’ और ‘Selectoins from Guru Nanak Bani ‘ का विमोचन किया गया और विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘सिख धर्म का विश्वकोश’ राज्यपाल साहिब को भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं दर्शकों का स्वागत डॉ. परमवीर सिंह व अतिथियों का धन्यवाद डॉ. कुलविंदर सिंह ने किया।
इस आयोजन में देहरादून के गणमान्य लोगों के अलावा दिल्ली, चंडीगढ़ और पंजाब के विभिन्न शहरों से कई विद्वानों और प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें मुख्य रूप से संत जोध सिंह जी ऋषिकेश, स. दविंदर सिंह मान, देवेंद्र सिंह बिंद्रा, स. दर्शन सिंह, श्री. सेवा सिंह मथारू, स. बरजिंदरपाल सिंह, स. अमरजीत सिंह भाटिया, हरपाल सिंह बजाज, डॉ. हिम्मत सिंह, स. गुरबख्श सिंह राजन, गुरदीप सिंह सहोता, स. सिमरजीत सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर), डॉ. गुरनायब सिंह, बाल कलाकार कमलजीत सिंह नीलों, डॉ. गुरमेल सिंह, डॉ. दलजीत कौर, डॉ. जसवंत सिंह, डॉ. अमरजीत कौर करीर, जे.एस. ओबेरॉय, डॉ. तेजिंदर पाल सिंह, डॉ. मोहब्बत सिंह, डॉ. कश्मीर सिंह, डॉ. गुरतेज सिंह, डॉ. हरविंदर सिंह, श्वेता राय तलवार, मनजीत कौर आदि शामिल थे।
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