श्रीमद्भागवत कथा में भजनों पर झूमे भक्त
देहरादून। मन पर नियंत्रण का उपाय और मरण के रहस्यों का समाधान आज की आधुनिकता के पास नहीं है। यह ज्ञान तो सिर्फ श्रीमद्भागवत व अन्य ग्रंथों में ही प्राप्त किया जा सकता है। शिवलोक कॉलोनी रायपुर रोड अधोइवाला में श्रीमद्भागवत की कथा के चौथे दिन कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने ही भगवान कृष्ण के रूप में अवतार धारण कर मानव को तरह-तरह की प्रेरणा दी है। इस दौरान कृष्ण भजनों पर श्रद्धालु खूब झूम उठे।
सोमवार को सुबह विधिवत पूजा कर यजमानों ने आरती की। दोपहर में व्यासपीठ पर विराजमान कथाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं ने कहा कि लीला अवतार श्री कृष्ण जी का अवतार जहां अपनी लीलाओं के माध्यम से मानव कल्याण करने भगवान ने इस धरती पर अवतार लिया। आचार्य ने कहा कि धार्मिक जन को बड़े से बड़ा कष्ट सहने के लिए खुशी-खुशी तत्पर रहना चाहिए। जिसने भी कष्ट सहन का अभ्यास कर लिया वह कभी भी दुखी नहीं हो सकता। केवल सुखी रहने के लिए अमृत पीते रहने की आत्मा रखने वाला मामूली से दुख का सामना नही कर पाता। उन्होंने कहा कि राष्ट्र समाज तथा धर्म की रक्षा के लिए कष्ट सहने वाला सदैव के लिए अमर हो जाता है जबकि सदी सुविधा भोग का इच्छुक कलंकित माना जाता है। महाराणा प्रताप को जंगलों में भटक कर घास की रोटियां खानी पड़ी। आज इतिहास में महाराणा प्रताप का नाम दर्ज है। आचार्य ममगाईं ने कहा कि हमारे कर्मकांड पूर्णता वैज्ञानिक हैं। विज्ञान शास्त्र की तरह धर्मशास्त्र में स्पष्ट वर्णन है कि अमुक मंत्र के साथ यज्ञ में दी गई आहुति से आमुख फल परिणाम प्राप्त हुआ। मंत्रों में अपार शक्ति होती है जो काम असंभव है वह मंत्र पल भर में संभव कर देते हैं। वही दूर दूर से लोगों ने आकर कथा का आनंद लिया। 30 सितम्बर को कथा के समापन पर होगा। इस मौके पर भगवान सजवाण, अनिल डोभाल, पीताम्बरी तैलवाल, हरीश तैलवाल, सरोज, मिनाक्षी ,साक्षी, मकेश तैलवाल, जीतेन्द्र तैलवाल , कृष्णा तैलवाल, सुलोचना कलावती आदि रहे।
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