भागवत कथा में द्रौपदी प्रसंग का वर्णन किया
देहरादून। संसार का चिंतन करने से मन बिगड़ता है। मन न बिगड़े इसलिए भगवान का जाप अवश्य करना चाहिए। प्रभु में ध्यान लगाने से मनुष्य संसार के कुचक्र से हम मुक्त हो सकते है। कौलागढ़ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का वर्णन करते यह विचार आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने व्यक्त किए।
शुक्रवार को तीसरे दिन कथा में द्रौपदी- दुर्योधन प्रसंग का वर्णन करते आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि परमात्मा में आस्था होने से जीवन की नींव में स्थिरता आ जाती है। जो भक्ति करते है, उन्हें भगवान अवश्य मिलते है। मन मछली की तरह भटकने वाला है। मन रूपी मछली को विवेक रूपी ज्ञान से द्रोपदी रूपी भक्ति स्वयं प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि भक्ति भजन श्रेष्ठ होगा तो भगवान दरवाजा खटखटाने अवश्य आएंगे। इस दौरान कथा में कृष्णा देवी सकलानी, डॉक्टर हिमानी वैष्णव ,अजय मोहन सकलानी, अनिता सकलानी, सुमन सकलानी, पवन सकलानी, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य महेश भट्ट, आचार्य संदीप बहुगुणा, हिमांशु मैठाणी आदि लोग मौजूद रहे।
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